आश्विन मास के शुक्ल पक्ष मे प्रतिपदा से पर्यन्त नवरात्र पूजन करे अथवा सप्तमी से नवमी तक त्रिरात्र करें | नो दिन का व्रत करने में असमर्थ भक्त तीन रात्री वा एक रात्रि का व्रत कर सकते है| ||           अथवा  नवरात्र च सप्तमं च त्रिकम दिवा | एकभक्तेन नतेयाचितो पोषितो: क्रमात|| अमायुक्ता न कर्तव्या प्रतिपतपुजने मम | मुहूर्त मात्रा कर्तव्या दुतियादिगुणानविता||     कात्यायन का वचन है कि आश्विन मास की प्रतिपदा को चित्रा नक्षत्र और योग हो तो आदि के दो चरण छोड़कर नवरात्र का प्रारंभ करे |  देवी पुराण मे देवी का वचन है कि मेरे पूजन मे आश्विन मास मे अमावस्या युक्त प्रतिपदा नही लेनी चाहिए , उदयकाल मे प्रतिपदा से युक्त द्वितीय हो तो नवरात्र व्रत , पूजन प्रारम्भ करना चाहिए और उसी दिन कलश स्थापन भी करना चाहिए